महाकुंभ मेला अखाड़ों का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

प्रयागराज,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवम मनसादेवी मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश से पृथ्वी पर जहाँ जहाँ अमृत की बुंदे गिरी उन चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन मे इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेला अखाड़ों का सबसे बड़ा पर्व है। सभी तेरह अखाड़े महाकुंभ में शामिल होते हैं। महाकुंभ में लगने वाले अखाड़ों के शिविरों से प्रसारित होने वाले संत महापुरूषों के उपदेशों से पूरी दुनिया को मार्गदर्शन मिलता है। सनातन धर्म संस्कृति का पूरे विश्व में प्रसार होता है। उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों के संत महापुरुष प्रयागराज महाकुंभ मेले में पहुंच चुके हैं। सभी अखाड़ों के सहयोग से महाकुंभ मेला भव्य रूप से संपन्न होगा।उन्होंने कहा की 4 जनवरी को अखाड़े की पेशवाई नगर का भ्रमण करते हुए छावनी में प्रवेश करेगी जिसमें देश के कोने-कोने से संत महापुरुष, श्रद्धालु शामिल होने महाकुंभ में पहुंचने लगे हैं।

भारत माता मन्दिर हरिद्वार के स्वामी अखिलेश्वरा नन्द गिरी महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवम मनसादेवी मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत सम्मान करते हुए कहा की महाकुम्भ मेला हमारी आस्थाओ का सबसे बड़ा मेला हैं। इस पर्व पर जो संत महापुरुष, श्रद्धांलू भक्त माँ गंगा के संगम मे डुबकी लगा लेता हैं। ऐसे संत महापुरुषों, और श्रद्धांलु सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।

निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी कहां की भारतीय संस्कृति की अद्भुत पहचान महाकुंभ मेला है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ मेले में संत महापुरुषों के आशीर्वाद से सभी धार्मिक आयोजन सकुशल संपन्न होंगे। इस अवसर पर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की छावनी में महंत राधे गिरी, आई. डी. शर्मा शास्त्री,
श्रीमहंत नरेश गिरी, श्रीमहंत शिव वन, स्वामी रविपुरी, स्वामी राजगिरी, स्वामी आलोक गिरी, दिगंबर नीलकंठ गिरी, दिगंबर राकेश गिरी, दिगंबर राधेश्याम पुरी, दिगंबर राजेंद्र भारती,आदि के संग सैकड़ो सन्त महापुरुष मौजूद रहे।