उत्तराखंड: अब कड़ाके की ठंड के लिए रहिए तैयार, वैज्ञानिकों ने पहले ही दे दिया अल्टीमेटम उत्तराखंड में इस बार सर्दी करीब 1 महीना ज्यादा देर तक रहेगी। इसकी वजह भी वैज्ञानिकों ने बताई है।
इस बार उत्तराखंड के लोगों को सर्द हवाओं को ज्यादा झेलना पड़ेगा। इस बार वैज्ञानिक पहले ही अंदेशा जता चुके हैं कि अबकी बार उत्तराखंड के लिए ठंड कई मुश्किलें लेकर आ सकती है। उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ साथ मैदानी इलाकों में भयंकर शीतलहर चल सकती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार 20 से 30 दिनों तक सर्दी ज्यादा रहेगी। इस बार बाकी सालों की तुलना में ठंड ज्यादा पड़ने की भी संभावना है। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) के मौसम वैज्ञानिकों ने इस बारे में खास बातें बताई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य तौर पर साल में 90 से 100 दिन के लिए ठंड रहती है। लेकिन इस बार उत्तराखंड में ठंड 120 से 125 दिन तक रह सकती है। बीते दिनों हुई अत्यधिक बारिश का असर भी इसका कारण है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 15 दिसंबर के बाद पारा तेजी से नीचे जाएगा। साथ ही ये भई बताया गया है कि इस बार सर्दियां 15 मार्च 2022 तक रहने का अनुमान है। एरीज के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल ठंड 20 से 25 दिन ज्यादा रहेगी।
बीते कुछ वर्षों से वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ के चलते ठंड में न्यूनतम तापमान लगातार बढ़ा है। यही वजह है कि ठंडे इलाकों में भी शून्य डिग्री तापमान मुश्किल से पहुंचता है। हालांकि,इस बार लगातार बारिश के चलते यह संभावनाएं बढ़ गई हैं। ला-नीना के प्रभाव के कारण तापमान में तेजी से गिरावट शुरू हो गई है। तराई में आने वाले दिनों में तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। पहाड़ों पर भी न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। खासतौर पर कई पहाड़ी इलाकों में तापमान माइनस में जा सकता है। ला-नीना के असर के कारण मौसम विभाग ने उत्तर भारत के साथ ही उत्तर पूर्व एशिया में ठंड की चेतावनी जारी की है। इस साल प्रशांत क्षेत्र में ला-नीना तेजी से उभर रहा है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होना शुरू हो जाता है। बता दें कि समु्द्र का पानी ठंडा होने की प्रक्रिया को ला-नीना और गर्म होने की प्रक्रिया को अल-नीनो कहते हैं। इसका सीधा असर हवाओं पर पड़ता है।