हरिद्वार(अश्वनी धीमान )
शहर में 24 अक्टूबर को होने वाले करवाचौथ को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।करवाचौथ के लिए लहंगों से लेकर मेहन्दी की बुकिंग जारी है।कोविड19 के दौरान लॉकडाउन में जिनके विवाह हुए थे वो सादे रूप में हुई शादी की कसर करवाचौथ पर निकालने की तैयारी में है।
बाजार में करवाचौथ की रौनक नजर आने लगी है।सजावट से भरे करवे,सुंदर सुंदर गोटे से सजी छलनी,लोटे आदि से सजी दुकानें लोगो को आकर्षित कर रही हैं।
शुक्रवार को बाजार में अधिक चहल पहल व दुकानों पर भारी भीड़ रही।
*क्या होता हैं करवाचौथ का व्रत*
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और तरक्की के लिए पूरे दिन निर्जल उपवास रखती हैं। करवा चौथ के व्रत संबंध में कई लोककथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ के व्रत का महत्व बताया था। इसके अलावा द्रौपदी ने अर्जुन के लिए यह व्रत रखा था। तभी से पत्नियां अपने पति की सलामती के लिए यह उपवास रखती हैं। इस बार यह व्रत 24 अक्टूबर, रविवार को है। करवा चौथ के व्रत में करवा और सरगी का विशेष महत्व होता है। इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं हो सकता है।
*तो क्या हैं ये चीजें और इनका कैसे उपयोग किया जाता है आइए जानते हैं।*
करवा मिट्टी का एक बर्तन होता है। इसे देवी का प्रतीक चिन्ह समझकर पूजा की जाती है। कुछ लोग तांबे या स्टील के लोटे को करवे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। पूजा के दौरान दो करवे बनाए जाते हैं। इसमें एक देवी मां का होता है, दूसरा सुहागिन महिला का।
*सरगी का क्या है मतलब*
सरगी आम तौर पर पंजाबी समुदाय के लोगों में ज्यादा प्रचलित होती है, लेकिन दूसरे समुदाय के लोग भी इसका प्रयोग करते हैं। सरगी का मतलब है कि सास की ओर से बहू को करवा चौथ पर दी जाने वाली एक तरह की भेंट। यह भोजन की एक ऐसी थाली होती हैं जिसमें कुछ खास चीजें होती हैं। इन्हें खाने के बाद दिनभर निर्जला उपवास रखा जाता है।
सरगी की थाली में ऐसी चीजें होती है जिसे खाने से भूख और प्यास कम लगती है और दिनभर एनर्जी बनी रहती। इसमें सूखे मेवे और फल होते हैं। साथ ही मिठाई होती है। अगर सास सरगी नहीं दे सकती तो बहू को पैसे भिजवा सकती हैं। सरगी में खाने के सामान के अलावा कपड़े, सुहाग की चीज, फेनिया, नारियल आदि रखे होते हैं।