संतो न कहा महामंडलेश्वर माधवानंद महाराज की क्षति अपूरणीय है

हरिद्वार। जगदीश कुटीर आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी माधवानंद गिरी महाराज के ब्रह्मलीन हो जाने से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई। संत समाज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक महान संत बताया। उन्हें संत समाज के सानिध्य में आश्रम में ही भूसमाधि प्रदान की गई।
प्रेस को जारी बयान में भारत साधु समाज के प्रदेश अध्यक्ष महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि स्वामी माधवानंद गिरी महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिनके ब्रह्मलीन हो जाने से संत समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि प्रदान करता है। योगी सत्यव्रतानंद एवं महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि संत महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज के मार्गदर्शन के लिए उनकी आत्मा सदा व्यवहारिक रूप से इस धरा पर उपस्थित रहती है। ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज समाज के प्रेरणा स्रोत थे, जिनका आध्यात्मिक जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के उत्थान के लिए समर्पित रहा राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी एवं महंत प्रहलाद दास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज ने सदैव युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म एवं संस्कृति के प्रति जागृत किया और जीवन पर्यंत गौ सेवा एवं गंगा संरक्षण के लिए समाज को संकल्पबद्ध बनाया। संत समाज के इतिहास में उनका जीवन सदैव स्मरणीय रहेगा। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज एक युग महापुरुष थे। धर्म के संरक्षण संवर्धन में उनका योगदान सदैव अतुलनीय रहा हम आशा करते हैं कि उनके कृपा पात्र शिष्य स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज उनके आदर्शो को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। इस दौरान स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने अपने गुरु ब्रह्मलीन स्वामी माधवानंद गिरी महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। स्वामी माधवानंद गिरी महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरीवल्लभ दास शास्त्री, राजमाता आशा भारती, महंत शिव शंकर गिरी, महंत दुर्गादास, बाबा हठयोगी, महंत अरुण दास, स्वामी कामेश्वर पुरी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत शिवानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण स्वामी, रामानंद सरस्वती, महंत सुतीक्ष्ण मुनि ने उन्हें दिव्य महापुरुष बताया।