हरिद्वार:- आज का युवा वर्ग नशे की चपेट में है। इनका असर बच्चों पर भी पड़ रहा है। इन पर नशा न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक दुष्प्रभाव डाल रहा है।
नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पड़ने के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग इस दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। नशे की लत में सबसे अधिक कचरा बीनने वाले लड़के शामिल हैं।
नशे के लिए सस्ते प्रोडक्ट व्हाइटनर, बोनफिक्स को भी झिल्ली में भरकर इसे नाक-मुंह से खींचकर नशापूर्ति का खूब इस्तेमाल हो रहा है। तंबाकू, शराब, दवा से नशे के लत की हुई शुरूआत बढ़कर कोकीन, मार्फिन तथा हेरोइन तक पहुंच रही है।
नशे की लत को पूरी करने के लिए आजकल युवा अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आये दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले युवा चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते। नशे की लत इन पर हावी हो जाती है तो वह इसकी पूर्ति के लिए किसी की जान लेने से भी परहेज नहीं करते।
वही भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा समय समय पर नशा मुक्ति अभियान चलाया गया है परंतु नशे पर अंकुश लगाना संभव नहीं हो रहा है। आजकल चोरी की वारदात में कही न कही नशे की आदत सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, क्युकी अपनी नशापूर्ति के लिए कुछ युवा वर्ग गलत कदम उठा रहा है जिसमे चोरी डकैती, छीना झपटी जैसे अपराध शामिल हैं।
आज के समय में नशे की सामग्री मिलना भी ज्यादा कठिन कार्य नहीं रहा आसानी से नशे के सभी ब्रांड आपको एकदम उपलब्ध हो सकते हैं। इसी कारण युवा पीढ़ी अपने खर्चे पूरे करने के लिए चोरी करते हैं जिस पर पुलिस प्रशासन भी अंकुश नहीं लगा पा रही हैं।