संस्कृत भाषा के लिए आगे आएं गुरकुल: राजनाथ

रामभक्तों पर गोली चलाने वाले न तो मंदिर बनाते , न हटाते धारा 370 : धामी

हरिद्वार। पतंजलि गुुरुकुलम् एवं आचार्य कुलम के शिलान्यास समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश के गुरुकुल आगे आएं। उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है दुनिया के कई विद्वानों ने प्रकृति और सृष्टि को समझने के लिए संस्कृत का ही अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अहम स्थान है, योग दर्शन भी महर्षि पतंजलि ने संस्कृत में ही लिखा था। उन्होंने संस्कृत पढ़ने लिखने और बोलने वालों की कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई। कहा कि देवभाषा की यह स्थिति देखकर मन में पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि आचार्य गण देव भाषा संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए ईमानदार प्रयास करें। उन्होंने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव वेद और योग को सरलता से जनमानस तक पहुंचा रहे हैं। इसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। कहा कि आक्रांताओं के प्रभाव के कारण योग का प्रभाव कम हो गया था, उसे आज बाबा रामदेव आधुनिक रूप में आम जनमानस तक आधुनिक रूप में पहुंचा रहे हैं। गुरु शिष्य परंपरा पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुओं के नाम पर ही सनातन की पहचान है। सभी धर्म में मतभेद हो सकता है लेकिन गुरु को सभी ने स्वीकार किया है।

कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने देश को राजनीतिक और मानसिक रूप से गुलाम बनाया। स्वामी दर्शनानंद ने गुरुकुल की स्थापना कर इस दिशा में प्रकाश फैलाया जो आज भी युवाओं को प्रकाशित कर रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहा कि रामभक्तों पर गोली चलाने वाले न तो मंदिर बनाते और न ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाते, न ही तीन तलाक हटा पाते। अब देवभूमि में समान आचार संहिता भी जल्द लागू की जाएगी। कहा कि मातृशक्ति को मजबूत करने के लिए महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था भी गई। अब देवभूमि में समान नागरिक आचार संहिता को भी लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। श्रेष्ठ उत्तराखंड निर्माण के विकल्प रहित संकल्प को पूर्ण करने के लिए निरंतर कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर बनने की खुशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के अलावा कोई और नहीं दे सकता था।
कहा कि स्वामी रामदेव ने जिस प्रकार पतंजलि योगपीठ के माध्यम से विश्व में योग और आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार किया है, उसी प्रकार पतंजलि गुरूकुलम भी शिक्षा के क्षेत्र में अवश्य ही क्रांतिकारी बदलाव का द्योतक बनेगा। जिस प्रकार महर्षि दधीचि के तप का उपयोग कर वज्र का निर्माण हुआ था, उसी प्रकार स्वामी रामदेव अपने संघर्ष और तप से योग, प्रणायाम, आध्यात्म व स्वदेशी चिंतन के साथ ही अब भारतीय शिक्षा की पताका को पूरे विश्व में फहरा रहे हैं। स्वामी रामदेव के मार्गदर्शन में गुरुकुलम में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ वो संस्कार भी मिलेंगे। जिससे वे एक आदर्श नागरिक के रूप में समाज जीवन में अपना योगदान दे सकेंगे।
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